विश्व के कुछ गिने-चुने ब्रह्मा मंदिरों में से एक, यह मंदिर 14वीं शताब्दी में निर्मित है।
पवित्र झील, जिसके चारों ओर 52 घाट हैं, जहां श्रद्धालु स्नान करते हैं।
पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर देवी सावित्री को समर्पित है, जहां से पूरे पुष्कर का दृश्य देखा जा सकता है।
दक्षिण भारतीय, राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली का मिश्रण, यह मंदिर भगवान रंगजी को समर्पित है।
12वीं शताब्दी में निर्मित, यह मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है।
19वीं शताब्दी की शुरुआत में निर्मित, यह गुरुद्वारा गुरु नानक देव और गुरु गोविंद सिंह जी की यात्राओं की स्मृति में बनाया गया था।
वार्षिक पुष्कर मेला, जो ऊंटों, घोड़ों और मवेशियों के व्यापार के लिए प्रसिद्ध है, साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।
पुष्कर के बाजार हस्तशिल्प, आभूषण, कपड़े और स्थानीय वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध हैं।
देवी एकादशी माता को समर्पित यह मंदिर माना जाता है कि पापों से मुक्ति दिलाता है।
पुष्कर और अजमेर के बीच स्थित यह पहाड़ी ट्रेकिंग के लिए प्रसिद्ध है।
राजा मान सिंह द्वारा निर्मित यह महल राजस्थानी वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
पवित्र झील, जिसके चारों ओर 52 पुष्कर की यात्रा के मुख्य बिंदुओं का सारांश और इसे एक अविस्मरणीय अनुभव के रूप में प्रस्तुत करना।घाट हैं, जहां श्रद्धालु स्नान करते हैं।